नरेंद्र सिंह नेगी जी के कुछ चुने हुए गीत।

बद्री केदारनाथ गीत जो की घर जवें फ़िल्म में से है-
जय बद्री केदारनाथ -2
गंगोत्री जय जय, जमुनोत्री जय जय -2
हे बाबा केदार तेरो 
जन ऊंचो स्थान, हो...
तन ऊंचों राखी,
ये देश कू मान, 
जुग जुग बटीं य
दुनिया रे बाबा 
त्यारा 
दर्शनू कू आणीं छा
दुःख विपदा ते मां छोड़ी की
सुख उखड़ी ली जाणीं छा 
हे बाबा, सुख उखड़ी ली जाणीं छा 
हे शंभू 
जो जस दे भगवान 
जो जस दे भगवान 
अखण्ड त्येरी ज्योत जाणीं बद्री विशाला
तने रखी अखंड
ये मुलुक ये हिमाला
हरिजनू को भेद भाव ना 
ठाकुर  Thakur baahman jaat paat
Aas aulaad aur des ka khatir
Hita bhai behno saath saath
Hita bhai behno saath saath
Hey Naarain, sabhi teri chaa santaan
Sabhi teri chan santaan
Jai badri kedarnath
Gangotri Jai jai
Jamunotri jai jai
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अपड़ी तों सरम्येली आंख्युं,
अपड़ी तों सरम्येली आंख्युं,
अपड़ी तों सरम्येली आंख्युं देखण दया जरा इना ता देखा
देखण दया जरा इना ता देखा
तुमारी समणी सरम च आणि,हम्तै भारी सरम च आणि
पैली तुम जरा उना ता देखा, हो पैली तुम जरा उन ता देखा
कब ताकि सरमाणी लुकणी राली ब्योली
कब ताकि सरमाणी लुकणी राली ब्योली
कभी ता आलू बसंत कभी ता हंसली फ्योली
रुखा डांडा हवे जला हैरा, रुखा डांडा हवे जला हैरा
जरसी तुम यूँ जना ता देखा, हो जरसी तुम यूँ जना ता देखा
तुमारी समणी सरम च आणि पैली तुम जरा उना ता देखा,
हो पैली तुम जरा उन ता देखा
सरम भी तुमारी चा आंख्युं मा तुमि,सरम भी तुमारी चा आंख्युं मा तुमि
जुक्डी मा तुमारी माया कुटी कुटी घुमी
भैर भितर तुमारी मूरत, भैर भितर तुमारी मूरत
क्या जी करा अब कना जी देखा, हो क्या जी करा अब कना जी देखा
अपड़ी तों सरम्येली आंख्युं देखण दया जरा इना ता देखा
हो देखण दया जरा इना ता देखा
छोड़ा देखणा छन लोग हाथ यनु ना खींचा
हमारा गों मा रिवाज सरमाणों कु नीचा
हो छोड़ा देखणा छन लोग हाथ यनु ना खींचा
हमारा गों मा रिवाज सरमाणों कु नीचा
दूर डांडीयूँ का पार लिजावा हमसाणी
चला उड़ी जौला द्वि का द्वि पंछी बणी
पंछी बणी पंछी बणी
डाल्युं का टुख बनौला घोल
सुख ही सुख होलू जाना भी देखा
हो सुख ही सुख होलू जाना भी देखा
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मेरी बेटुली मेरी लाड़ी लडयाली
मेरी चखुली मेरी फूलो की डाली ..२
आज स्य देखदे -द्खदा ,बिराणी हवे गे सैति-पाली..२
बाबा जी यकुली -यखुली कनु के की जोलु
हे माजी बीरण मुलुक कनु के की रोलु
अफु भी रोई मैती भी रुलेगे आज छके की
हेंस्दु- खेलदु घर सुन कैगे जिकुड़ी यो दुखे की
ख़ुद लगली भ्ये-ब्हेनो मैतियों की रोवए ना
उपरी मुल्क उपरी मनखीयो मा धीरज खोये ना
खूब फल -फूली मैतियों ना भूली ..२
मेरी आंखी यो की उजयाली
बिराणी …….. पाली
अपणु हवे की भी अपणु णी यो धन कन धन चा
याद ओदन तेरा खेल -खिलौना दिन बाला पन का
किल्क्वारी मारी ग्वाया लगाणु याद आणु चा
तुतले  की तेरु बोलणु बचियाणु याद आणु चा
नवाई -तपाई गोल्याई हिटाई जिकुडा का काख सिवाली
बिराणी हवे गे सैति पाली
मुख ना लगी दाना सय्नो का प्रेम से रै ई
भल- बुरु जनु होलू भाग मा बेटी चुप सै लेई
अमर रया तेरु सुहाग ,सदनी सुखी सन्ति रै तू
द्वि घरो की छे लाज अपणु धर्म निभे तू
खूब फल -फूली मैतियों ना भूली ..२
मेरी आंखी यो की उजयाली
बिराणी …….. पाली
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नेगी जी का ये गाना बड़ा ही मार्मिक और भावपूर्ण है, इसमें नेगी जी ने पहाडो की नारी की जीवन गाथा का वर्णन किया है, की हमारे पहाडों की नारी किस तरह से प्रीत की कोमल डोर की तरह हैं और पर्वत की तरह कठोर भी है.
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
बिन्सिरी बीटी धान्यु मा लगीन, स्येनी खानी सब हरचिन-२
करम ही धरम काम ही पूजा, युन्कई ही पसिन्यांन हरिं भरिन
पुंगड़ी पटली हमारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
बरखा बतोन्युन बन मा रुझी छन, पुंगडा मा घामन गाती सुखीं छन-२
सौ सृंगार क्या होन्दु नि जाणी
फिफ्ना फत्याँ छिन गालोडी तिड़ी छिन
काम का बोझ की मारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
खैरी का आंसूंन आंखी भोरीं चा,मन की स्याणी गाणी मोरीं चा -2
सरेल घर मा टक परदेश, सांस चनि छिन आस लगीं चा
यूँ की महिमा न्यारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
दुःख बीमारी मा भी काम नि टाली,घर बाण रुसडू याखुली समाली-२
स्येंद नि पै कभी बिजदा नि देखि, रत्ब्याणु सूरज यूनी बिजाली
युन्से बिधाता भी हारी बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-२
प्रीत सी कुंगली डोर सी छिन ये
पर्वत जन कठोर भी छिन ये
हमारा पहाडू की नारी.. बेटी ब्वारी
बेटी ब्वारी पहाडू की बेटी ब्वारी-2
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इस लोरी को मै सुनते हुवे लिख रहा था तो मेरी आँखों में पानी आ गया और आप सुनोगे तो जरुर आपका मन भी उन यादों में खो जायेगा, मा अपने बच्चे को सुला रही है वो उसे बोल रही है हे मेरी आँखों के रतन सोजा उसे अभी घर के बहुत सरे काम करने हैं सोजा उसके साथ की सहेलियों ने सरे काम कर दिए हैं और उसके सरे काम ऐसे ही पड़े हुवे हैं तू सोजा
हे मेरी आंख्युं का रतन
बाला स्ये जादी,बाला स्ये जादी
दूध भात दयोलू मी ते तैन
बाला स्ये जादी-२
हे मेरी आंख्युं का रतन
बाला स्ये जादी-४
मेरी औंखुडी पौन्खुड़ी छै तू, मेरी स्याणी छै गाणी
मेरी स्याणी छै गाणी
मेरी जिकुड़ी उकुड़ी ह्वेल्यु रे स्येजा बोल्युं मानी
स्येजा बोल्युं मानी
न हो जिधेर ना हो बाबु जन बाला स्ये जादी
दूध भात दयोलू मी ते तैन,बाला स्ये जादी
तेरी घुन्द्काली तू की मुट्ठ्युं मा मेरा सुखी दिन बुज्याँन
मेरा सुखी दिन बुज्याँन
तेरी टुरपुरि तों बाली आंख्युं मा मेरा सुप्न्या लुक्याँन
मेरा सुप्न्या लुक्याँन
मेरी आस सांस तेम ही छन बाला स्ये जादी
हे मेरी आंख्युं का रतन, बाला स्ये जादी
हे पापी निंद्रा तू कख स्येंयी रैगे आज
स्येंयी रैगे आज
मेरी भांडी कुण्डी सुचण रै ग्येनी, घर बोण कु काम काज
घर बोण कु काम काज
कब तै छनटेलु क्या बोन क्या कन, बाला स्ये जादी
दूध भात दयोलू मी ते तैन,बाला स्ये जादी
घात सार सारी की लै ग्येनी, पंदेरों बटी पंदेनी
पंदेरों बटी पंदेनी,
बाणु पैटी ग्येनी मेरी धौडया दगडया लखड्वेनी घस्येनी
लखड्वेनी घस्येनी
क्या करू क्या नि करू जतन बाला स्ये जादी
हे मेरी आंख्युं का रतन,बाला स्ये जादी
घर बौडू नि व्हायु जू गै छौ झुरै की मेरी जिकुड़ी
झुरै की मेरी जिकुड़ी
बिसरी जांदू वीं खैरी बिपदा हेरी की तेरी मुखड़ी
सम्लौ न वो बात वो दिन बाला स्ये जादी
दूध भात दयोलू मी ते तैन,बाला स्ये जादी
बाला स्ये जादी-4
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एक बहुत ही प्यारा गीत जो श्री नरेंदर सिंह नेगी जी ने गाया है. एक नारी की १२ महीनों की आत्म ब्यथा को इस गीत के माध्यम से बहुत मार्मिक ढंग में वर्णित किया गया है। जरा गौर फरमाए इन शब्दों पर…
बारा मैनो की बारामास गायी
घगरी फटीक घुंडियों माँ आयी २
चैत का मैना दिशा भेट होली
तेरी ब्येटुली ब्वे डब डब रोली
बैसाख मैना कोथीग कुरालु
बिना स्वामी जी का प्राण झुरोलू
बारा मैनो की…..
जेठ का मैना कोदू बूती जालू
मेरी पुन्गरियों ब्वे कु बूती आलु
आषाढ़ मैना कुयडी लोकैली
बिना स्वामी जी का कनु के कटीली
बारा मैनो की…..
सोंड का मैना कूडो चुयालो
जो पाणी भैर, भीतिर भी आलो
भादो का मैं संगरांद आली
मेरु कु च ब्वे जु मैत बुलाली
बारा मैनो की…..
अशूज मैना शरद भी आला
पितर हमारा टुक टुक जाला
कार्तिक मैना बग्वाल आली
स्वामी जौंका घौर पकोडा पकाली
बारा मैनो की…..
मंगसीर बैख ढाकर जाला
मर्च बिकैक गुड ल्वोन ल्योला
पूष का मैना झाडु च भारी
बिना स्वामी कि कु होली निर्भागी नारी
बारा मैनो की…..
माघ मॉस बीच मकरेण आली
कन होली भग्यान जु हरद्वार जाली
फागुण मैना होरी खिलेली
रसीला गीतों सुणी जिकुडा झुरोली
बारा मैनो की…..
बारा मैनो की बारामास गायी
घगरी फटीक घुंडियों माँ आयी २
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लस्का ढसका मा चली तेरी फौन्दी धौंपेली-2
कभी यी पाली लस्स कभी वीं पली लस्स
कभी ये छोड़ लस्स कभी वे छोड़ लस्स
लस्का ढसका मा चली मेरी फौन्दी धौंपेली-२
कभी यी पाली लस्स कभी वीं पली लस्स
कभी ये छोड़ लस्स कभी वे छोड़ लस्स
लस्का ढसका मा चली तेरी फौन्दी धौंपेली हाँ चली
तेरी छाली आंखियुंन छले धरम इमान
तेरी जाली मायान बणे दुनिया बेमान
तेरी छाली आंखियुंन छले धरम इमान
तेरी जाली मायान बणे दुनिया बेमान
मेरी बाली जवानी का चिफ्ला बाठों हिटी-२
कभी हे कभी हे कभी क्वी रौडी घस्स कभी क्वी रौडी घस्स
कभी ये छोड़ लस्स कभी वे छोड़ लस्स
लस्का ढसका मा चली तेरी फौन्दी धौंपेली हाँ चली
बिरडी गेनी भला भला लोग ठुमकों मा मेरा
अल्झी गेनी कन कना जोगी झुमकों मा मेरा
बिरडी गेनी भला भला लोग ठुमकों मा मेरा
अल्झी गेनी कन कना जोगी झुमकों मा मेरा
तेरा ठुमकों देखि तेरा घुंगरू सुणी-२
कभी हे कभी हो कभी हिया मा टुर्र कभी जिकुड़ी मा झस्स
कभी यी पाली लस्स कभी वीं पली लस्स
लस्का ढसका मा चली मेरी फौन्दी धौंपेली
पौणा चली जला भोल लेकी डोला बारात
अद्बटा मा न छोड़ बिन्गै जा पूरी बात
मैम राली समुण तेरी मुल मुल हैन्सी-२
कभी मुख फेरी ठस कभी मै देखि ठस
कभी ये छोड़ लस्स कभी वे छोड़ लस्स
लस्का ढसका मा चली मेरी फौन्दी धौंपेली हाँ चली-2
कभी यी पाली लस्स कभी वीं पली लस्स
कभी ये छोड़ लस्स कभी वे छोड़ लस्स
कभी यी पाली लस्स कभी वीं पली लस्स
कभी ये छोड़ लस्स कभी वे छोड़ लस्स।
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बरखा हवेली बत्वानी होलू रै
बरखा हवेली बत्वानी होलू रै, छौया मन्दारों कु
पाणी होलू रै
जाली सुवा घासु का डांडीयों मा, मन विन्कू खुदेणु
होलू रै !!
धरयों खांदा मा चाकू कितलू, चुल्ला मा भावरानी च आग !
छन स्वामी परदेश मा देवतों, रख्या राजी तुमु मेरु
सुहाग !!
मेरी प्यारी उदास न होई ,मैं
छुटी का अरज देणु छौं !
लगदा मंगसीर का मैना,मेरी प्यारी मैं
घोर ऑनु छौं !!
लगी सौणकी कुरेडी रोला गदरियों मा ,हौंदु
सिंस्याट !
घुट घुट लगदी च बडुली, दिल मा हौंदु धक्
धक्द्याट !!!
बौन पंछी , गाड
गद्नियों ,मेरी प्यारी खुदेनं न देना !!
होली घासु क जांई बाणु मा तुमु सौं छन वीं रौन न
देना !!!
सेवा सौंली,
राजी खुसी अपणी तुमु फ़ोन
मा दी दयान!
बाटु देखुलू मंगसीर क मैना,स्वामी घोर जरूर
अयान !!
प्यारी कन क्वे कटेला यी दीन,मेरु
त्वेसी बिछाडाट करयों च !
बाकि पर्देसू नौकरी क बाना घर गाँव गुठयार
छोडीयूँ च !!!!
पर्देसू मा अफु रयान , मेरा बाना नि मन झुराण!
मैं जन्नी छुओं ,अपणाघोर मा स्वामी तुमु अपणु
ख्याल रख्यान!!!
सुवा तू अपणु ख्याल रख्यान ,
बरखा होली बत्वानी होलू रै चौया मंद्रों कु
पाणी होलू रै!
जाली सुवा घासु क डंडियों मा, मन विन्कू खुदेणु होलू रै !!!!
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तौंसा बो 
तौंसा बो जीला की गौज 
तौंसा बो जीला की गौज
तौंसा बो ये सुख
चौमांस तौंसा बो
डांडी मारी मौज 
.......)
द्यूर जी तबार सी सेरी 
द्युर जी ए सुख 
चौमास द्युर जी 
डांड्यू छारी गेनी
....)1
तौंसा बो यो लुगाल्या बोलू 
तौंसा बो जेली डांड्यू मा
तौंसा बो भी मैं गैली ओलू
.....)
द्युर जी लीला इली सा 
द्युर जी बिलोज सिले द्ये
द्युर जी रूबिया कू पिस 
....)2
तौंसा बो कू काटी ते की चिलायी 
तौंसा बो बिलोज मैं लेलू 
तौंसा बो दी दिकी सेलिए 
.....
द्युर जी काखड़ी किरेई 
द्युर जी काखड़ी किरेई 
द्युर सिलेयी मैं द्युलू 
द्युर सिलेयी मैं द्युलू 
द्यूली गुंधग्याली हाथ्यूं 
......)3
तौंसा बो सिखेली 
पेंसी 
तौंसा बो रोनाक्याली आफू 
तौंसा तनी गुजर्या 
भैंसी 

.....
द्युर जी धणीया बिजायी
द्युर जी धणीया बिजायी
द्युर जी हेसांणू
खेलाणू तुमुन गिजायी 
......
तौंसा बो जीला की गौज 
तौंसा बो ये सुखो चौमासा
तौंसा बो डांडयू मारी मौज...
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चुलू जगोंदी बगत आई-
प्रेम की पीड़ा को शब्दों के मोती से बया करके फिर उसे अपनी आवाज़ की मधुरता से पूर्ण करने की कला यदि किसी को आती हे तो वो श्री नेगीजी ही हे । उनके गीत 
"चुलू जगोंदी बगत आई"  को जितनी बार सुनो उतनी बार कम लगता है । न जाने कितने लोग अपना परिवार अपना पहाड़ छोडके शेहरो में अकेले जिन्दगी काट रहे हे ।ऐसे में ये गीत उनकी भावनाओं को कुछ ऐसे छूता हे जेसे मानो ये उनकी ही कहानी हो । यही तो ख़ास बात हे नेगीजी की उनके गीत होते ही पहाड़ के लोगो के लिए है । इसीलिए उन्हें गढ़रत्न कहते है । 
आनंद ले इस गीत के लिरिक्स का ..
चुलू जगोंदी बगत आई
कभी चुलू मुझोंदी बगत आई
नि घुटेदु हेर गफा
तुम्हारी याद खांदी बगत आई ..!!!!
द्यु जगोंदी बगत आई ..
कभी द्यु मूझोंदी बगत आई ..
कभी द्यु जगोंदी बगत आई ..
कभी द्यु मूझोंदी बगत आई ..
नि घुटेदु हेर गफा
तुम्हारी याद खांदी बगत आई ..!!!!
चुलू जगोंदी बगत आई
कभी चुलू मुझोंदी बगत आई

मिलदी गुडदी बेर कभी ..
कभी लौन्दी बांदी दा सार्यो मा..
कभी यखुली यखुली ..छ्जा मुड़ी..
ग्यु छच्यांदी बगत आई ..
नि घुटेदु हेर गफा
तुम्हारी याद खांदी बगत आई ..!!!!
कभी द्यु जगोंदी बगत आई ..
कभी द्यु मूझोंदी बगत आई ...

रुड़ी भमांण दिन मा कभी ...
कभी लम्भी हुन्दी रातयो मा..
चोमास आंदी ..बेर कभी
मोल्यार जांदी बगत आई ..
नि घुटेदु हेर गफा
तुम्हारी याद खांदी बगत आई ..!!!!
कभी चुलू जगोंदी बगत आई
कभी चुलू बुझोंदी बगत आई

होल जान्दा ..हल्यु देखि ..
कभी ..घर बाड़ा सिपायु देखि ...
होल जान्दा ..हल्यु देखि ..
कभी ..घर बाड़ा सिपायु देखि ...
कभी बाटा बिरद्या..के बटवे..
बाटू बतान्दी बगत आई ..
नि घुटेदु हेर गफा
तुम्हारी याद खांदी बगत आई ..!!!!
कभी द्यु जगोंदी बगत आई ..
कभी द्यु मूझोंदी बगत आई ..

दूर यख परदेश मा ..
लगनी च खुद बखि बात की ..
दूर यख परदेश मा ..
लगनी च खुद बखि बात की ..
कभी बडुली थमदी..बेर कभी ..
आंसू लुकांदी बगत आई ...

नि घुटेदु हेर गफा
तुम्हारी याद खांदी बगत आई ..!!!!
कभी चुलू जगोंदी बगत आई
कभी चुलू बुझोंदी बगत आई
चुलू जगोंदी बगत आई
कभी चुलू बुझोंदी बगत आई
नि घुटेदु हेर गफा
तुम्हारी याद खांदी बगत आई ..!!!!
चुलू जगोंदी बगत आई
कभी चुलू बुझोंदी बगत आई||
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बेडू पाको बारा मासा
बेडू पाको बारा मासा 
ओ नारेणी काफल पाको चैत, मेरी छैला 
ओ नारेणी काफल पाको चैत, मेरी छैला 

बेडू पाको बारा मासा 
ओ नारेणी काफल पाको चैत, मेरी छैला 

भूंणा भूंणा दीन आयो
नारेणी तू जा तेरी मेत मेरी छैला

अल्मोड़ा की नंदा देवी 
ओ नारेणी फुल चढूंणी पात मेरी छैला 
बेडू पाको बारा मासा..... 

आफू खानी पान सुपारी
ओ नारेणी मैं पिलौंछी बीड़ी मेरी छैला
बेडू पाको बारा मासा.....

अल्मोड़ा को लाल बजारा
ओ नारेणी लाल माटा की सीड़ी मेरी छैला
बेडू पाको बारा मासा.....

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