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Showing posts from March, 2023

रूपकुंड के रहस्य

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रूपकुंड भारत उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में स्थित एक हिम झील है जो अपने किनारे पर पाए गये पांच सौ से अधिक मानव कंकालों के कारण प्रसिद्ध है। यह स्थान निर्जन है और हिमालय पर लगभग 5029 मीटर (16499 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। वैतरणी 'बुग्याल' हिमक्रीड़ा स्थल उस समय गढ़वाल में एक अंग्रेज अधिकारी आर.वी. वर्नीड जिलाधीश थे। हिमालय की द्रोणियाँ उन्हें इतनी अधिक प्रिय थीं कि उन्होंने वैतरणी के विशाल ढलान पर बर्फ पर खेले जाने का प्रबन्ध किया था। उनके अनेक सहयोगी और मित्र रूपकुंड के निचले गिरितलों (ढालों) पर जो मीलों तक फैले हैं और कुमाऊँनी भाषा के बुग्याल कहलाते हैं अपनी लम्बी लम्बी काठ कुटी का भी निर्माण उन हिमकीड़ा प्रिय लोगों ने इन बुग्यालों के मध्य कर लिया था। आठ-नौ हजार फिट से अधिक ऊंचाई पर तो बड़े पेड़-पौधे होते ही नहीं, इसलिए इस कुटी का निर्माण करने के लिए काष्ठोपकरणों को निचले पहाड़ों से लगभग 12000 फिट की ऊंचाई तक ढोया गया था। शवों के सम्बन्ध में पहले अनुमान:  युद्धकाल में जब कि सारे अंग्रेज अधिकारियों का ध्यान गढ़वाल से अधिक से अधिक रंगरूट प्राप्त कर लेने का था. शवो...

गोपेश्वर, बाड़ाहाट और नेपाल का त्रिशूल

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                            गोपेश्वर में उत्कीर्ण लेख ओम, शुभम् देवादि देव राजेन्द्र जिनकी वीरता की अग्नि में शत्रुओं की तलवारें भस्म हो जाती हैं, जिसके नाखूनों के रत्न शत्रु राजाओं की पत्नियों की मांग को रंगत देते हैं, जिसके ज्ञान का विस्तार और गाम्भीर्य महासागर के समान है, जिसके पादपीठ के मणियों के साथ उसके सहयोगी और विरोधी राजाओं के शीश के मोती चमकते हैं, जो शाही हाथियों के बीच सिंह है तथा दानवों की भूमि का उसी तरह शासक है जैसे बेतालों का शासक विक्रमादित्य है। क्योंकि जिनको इस नाम से जाना जाता है वे भले ही मंगोल वंश के रहे हों लेकिन उन्होंने काफी बाद में ख्याति प्राप्त करने पर इस नाम को आगे किया। समस्त राजा जिसके लिए उसी तरह सहायक हैं जिस तरह नारायण के लिए गरुड़ और जो तीनों शक्तियों से सम्पन्न है। जो गौड़ परिवार में अवतरित हुआ, जो विराट कुल का तिलक है और जो बोधिसत्य का नवीनतम अवतार है। यह समृद्ध (शासक) अनेकमल्ल' पृथ्वी के राजाओं का शिरोधार्य तिलक है, जिसकी सेनाओं ने घेर कर केदारभूमि को जीतकर उसे अप...

मनड़ा माई की यात्रा

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Info. About Kagabhushundi Lake/Tal Trek

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Kagabhushundi Lake/Tal Trek: The kagabhushundi lake is cocooned in the Garhwal Himalayas in the Joshimath range, Uttarakhand state. The Kagabhusandi Lake is a small emerald green lake situated at an altitude of 5,230 meters near Kankul Pass (5,230 m) almost a km in length. It is a paradise for nature lovers as they can admire the beauty of the sublime Neelkanth, Chaukhamba, Thailya Sagar, Brigupanth, and Nar-Narayan Peaks during the trek. Amidst the snow-covered ranges of Kunkul Pass, lies a mesmerizing trail that leads to the Kagabhushundi Tal.  Mythology story about Kagabhushundi lake: Valmikiji, when we credit as the 1St documenter of Ramayana. It is believed that Rishi Kagabhushundi narrated Ramayana to Giddharaja Garuda way before him. The story of P. S. Rama was first narrated by Lord Shiva to Maa Parvati. This story was overheard by a crow. This crow was reborn in form of Rishi Kagabhushundi, Rishi Kag.. remembered entire story of P. S. Rama ad narrated by Lord S...

ब्रह्मकमल

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वर्ष में ज्यादातर समय बर्फ से ढके हिमालय की छटा वर्षा ऋतु के दौरान भी निराली ही होती है। इससे पूर्व जून तक के महीने में सूर्य की तीखी किरणें हिमालय पर जमी बर्फ को शायद ही विचलित कर पाती हों, लेकिन मानसून के आने के साथ ही प्रकृति अपना रंग दिखाने लगती है और चारों ओर होती है जड़ी - बूटियों, फूल- पत्तियों की बहार ही बहार। इस मनमोहक हरियाली के बीच होती है प्रकृति रूपी चित्रकार की एक अनूठी रचना "ब्रह्मकमल" जिसका जीवन सिर्फ 3 महीने का होता है।       हिमालय की वादियों में खिलने वाले विभिन्न किस्मों के फूलों - रत्नज्योति, गुलमेहंदी, लिली, पीले मार्श, मेरीगोल्ड, पोटेण्टिला, रेनन्कुलस में बड़े आकार वाला क्रीम रंग की पंखुड़ियों का फूल ब्रह्मकमल अनूठा ही है। हालांकि इस फूल का कमल की जाति से कोई संबंध नहीं है।         ब्रह्मकमल पत्थरों एवं चट्टानों की आड़ में उस जगह खिलता है जहां की बर्फ कभी नहीं पिघलती। इसकी गंध बहुत तीव्र होती है। हिमालय की घाटियों व चोटियों में  बसे उत्तराखंड वासी इसे बहुत पवित्र मानते हैं और उनकी पूजा-अर्चना में...