मकरैण, उतरैण या घी संगरांद:
सूर्य के मकर राशि में प्रवेश का दिन मकर संक्रान्ति कहलाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य को आत्मा का कारक माना जाता। है। संक्रान्ति का अर्थ संक्रमण से भी है, सूर्य एक माह तक राशि में रहता है और माना जाता है कि सूर्य के मकर राशि में होने से मृत्यू को प्राप्त व्यक्ति की आत्मा मोक्ष को प्राप्त होती है। व्यक्ति की कुण्डली में सूर्य लग्न नवम व दशम का नैसर्गिक कारक होता है। यह आरोग्य, साहस, धर्म-कर्म, नेतृत्व, पैतृक संपति, पिता सुख आदि को प्रभावित करने वाला प्रमुख ग्रह है। शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन सूर्य देवता धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं जबकि मकर राशि के स्वामी शनि देव हैं। शनि सूर्य के पुत्र हैं मगर अपने पिता से उनका बैर है, शनि के घर में सूर्य के प्रवेश करने पर शनि कष्ट न दे, नुकसान न पहुँचाये इसलिए इस दिन को जप, तप, व दान के लिये उत्तम माना जाता ना है। गढ़वाल में यह दिन मकरैण या खिचड़ी संगरांद के रूप में जाना व मनाया जाता है(उतरायणीं, मकरैणी, घुघुतिया, पुस्योड़िया, मकरैण, उतरैणी, उतरैण, घोल्डा, घ्वौंला, चुन्यात्यार, खिचड़ीयासंग्रांत), क...