"हिमवंत"कवि चंद्रकुंवर बर्तवाल
चन्द्र कुंवर बर्त्वाल जी का जन्म 20 अगस्त 1919 को उत्तराखण्ड के चमोली (अब रुद्रप्रयाग जिले में )जिले के ग्राम मालकोटी, पट्टी तल्ला नागपुर में हुआ था। शिक्षा पौड़ी, देहरादून और प्रयाग में हुई।इनके पिता का नाम श्री भूपाल सिंह बर्त्वाल और माता का नाम श्रीमती जानकी देवी था। सन् 1939 में इन्होंने इलाहाबाद से बी. ए. की परिक्षा उत्तीर्ण सन् 1941 में एम. ए. कक्षा में लखनऊ में प्रवेश लिया। क्षय रोग के कारण घर वापस - पंवालिया आ गए। आठ साल पंवालिया और अगस्तमुनि में बीते । अगस्तमुनि में हेडमास्टर बने लेकिन फिर छोड़ दिया। आधुनिक काल के कवि। प्रमुख कृति गीत- माधवी कविता संग्रह। उन्होंने मात्र 28 साल की उम्र में हिंदी साहित्य को अनमोल कविताओं का समृद्ध खजाना दे दिया था। सरस्वती के वरद पुत्र 'काफल पाक्कू' के अमर गायक, चन्द्रकुँवर बर्त्वाल ने अपनी कालजयी कविताओं में हिमालय का ज्वलन्त जीवन रूप साकार किया है। हिमपण्डित शैल-शिखर, सदानीरा कल-कल करती नदियाँ, लम्बे-चौड़े लहलहाते चरागाह, दूर-दूर तक फैले चीड़, बाँज, बुराँश, देवदार के घने घने जंगल, रंग-बिरंगे फूलों से लदालद भरी घाटिय...